Long Winding Road
पाकर एक खाली कैनवस
हाथ में लिए इक ब्रश और कुछ तेज़ रंग
रंगने लगा अपना इक सपना
सीधी लकीरें खींचता, बेधड़क ब्रश चलाता
फैलाता चला गया मैं वो रंग
इमारतें भरी, चौड़ी सड़के भी भरी, भरी तेज़ रेल गाड़ियाँ
भरना नहीं भूला मैं खूब से लोग भी
तस्वीर जो बनी वो कुछ खास ही थी
इक फक्र सा महसूस हुआ मुझे खुद पर
सहारने अपनी इस कृति को हटा जो कुछ कदम पीछे
तो ये जाना की इस जगह की रूह को कहीं खो बैठा
सब था इस तस्वीर मे पर वो रूह जाती रही
इसलिए ये लोग भी यहाँ कुछ बेजुडे से फ़िरते हैं
तलाश मे उस रूठी हुई रूह की, अब अक्सर निकल आता हूँ
उस तस्वीर से दूर, इन टेढ़े मेढ़े रास्तों पर
कि शायद वो रूह कहीं मिल जाए
शायद कहीं इक ऐसी जगह मिल जाए जहाँ लोग प्यार से रहना चाहतें हों
तरुण चंदेल
1 comments:
Wonderful information. Good to know this valuable article.
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.