
ये वक़्त क्या है?
ये क्या है? आख़िर ये क्यूँ लगातार गुज़र रहा है?
ये जब मैं गुजरा था तब कहाँ था? कहीं तो होगा!
गुज़र गया है तो अब कहाँ है? कहीं तो होगा!
कहाँ से आया किधर गया है?
ये कब से कब तक का सिलसिला है?
ये वक़्त क्या है?
ये जैसे पत्ते हैं बहते पानी की सतह पर तैरते हुए
अभी यहाँ है, अभी वहां है, और अब है ओझल
दिखाई देता नहीं है, लेकिन ये कुछ तो है जो की बह रहा है
ये कैसा दरिया है?
किन पहाड़ो से आ रहा है?
ये किस समंदर को जा रहा है?
ये वक़्त क्या है?
- जावेद अख्तर
Watching the winter sun go down for the last time this year
and thinking about the year gone by.
Tarun Chandel
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