Sagar Vihar Vashi
कहीं उजाले में भी तो अँधेरा छुपा है
कहीं ख़ुशी में भी तो दर्द बसा है
कुछ पाने में भी तो कहीं खोना पड़ा है
कहीं भीड़ में भी तो तन्हाई मिलती है
चाँद की रोशिनी में भी कहीं सूरज बसा है
श्वेत और कृष्ण में ही कहीं सब रंग भी समाये हैं
तरुण चंदेल
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